हिन्दुभुमि गान से गुजँता रहे गगन
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥।धृ।
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥।धृ।
जन्मसिद्ध भावना स्वधर्म क
बिचार हो
रोम रोम मे रमा स्वधर्म संस्कार हो
आरती उतारते प्राणदीप हो मगन,
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥१॥
रोम रोम मे रमा स्वधर्म संस्कार हो
आरती उतारते प्राणदीप हो मगन,
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥१॥
हार के सुसुत्र मे मोतियोंकी
पंक्तियाँ
नगर नगर ग्राम से संग्रहित शक्तीयाँ
लक्ष लक्ष रुपसे हिन्दु हो बिराट तन
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥२॥
नगर नगर ग्राम से संग्रहित शक्तीयाँ
लक्ष लक्ष रुपसे हिन्दु हो बिराट तन
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥२॥
ऎक्य शक्ति हिन्दु की प्रगति
मे समर्थ हो
धर्म आसरा लिये मोक्ष काम अर्थ हो
पूण्यभुमी आज फिर ज्ञान का बने सदन
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥३॥
धर्म आसरा लिये मोक्ष काम अर्थ हो
पूण्यभुमी आज फिर ज्ञान का बने सदन
स्नेह नीर से सदा फुलते रहे सुमन ॥३॥
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